।। श्री गणेशाय नमः।।
नमो महाविद्या बरद, बगलामुखी दयाल।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमिरत अरिकुल काल।।
नमो नमो पीताम्बरा भवानी, बगलामुखी नमो कल्यानी |1|
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविद्या वरदानी |2|
अमृत सागर बीच तुम्हारा, रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |3|
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना, पीताम्बर अति दिव्य नवीना |4|
स्वर्णाभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |5|
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला , धारे मुद्गर पाष कराला |6|
भैरव करें सदा सेवर्काइ , सिद्ध काम सब विघ्न नर्साइ |7|
तुम हताश का निपट सहारा, करे अकिंचन अरिकल धारा |8|
तुम काली तारा भवनेशी , त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |9|
छिन्नभाल धूमा मातंगी, गायत्री तुम बगला रंगी |10|
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्लीं बीज के बीज बिराजें |11|
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |12|
दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिव्हा कीलक सघाता ।13।
साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता ।14।
मुद्गर शिला लिये अति भारी, प्रेतासन पर किये सवारी ।15।
तीन लोक दस दिशा भवानी, बिचरहु तुम जन हित कल्यानी ।16।
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुद्धि नाशकर कीलक तन को ।17।
हाथ पांव बांधहुं तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।18।
चोरों का जब संकट आवे, रण में रिपुओं से घिर जावे ।19
अनल अनिल बिप्लव घहरावे, वाद विवाद न निर्णय पावे ।20।
मूठ आदि अभिचारण संकट, राजभीति आपत्ति सन्निकट ।21।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे, भूत प्रेत न बाधा आवे ।22।
सुमिरत राजद्वार बंध जावे, सभा बीच स्तम्भवन छावे ।23।
नाग सर्प बृच्श्रिकादि भयंकर, खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।24।
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलोच्चाटन कारी ।25।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक ।26।
तुमको सदा कुबेर मनावें, श्री समृद्धि सुयश नित गावें ।27।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता, दुःख दारिद्र विनाशक माता ।28।
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता, शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ।29।
पीताम्बरा नमो कल्यानी, नमो मातु बगला महारानी ।30।
जो तुमको सुमरै चितर्लाइ , योग क्षेम से करो सर्हाइ ।31।
आपत्ति जन की तुरत निवारो, आधि व्याधि संकट सब टारो ।32।
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूं निहोरी ।33।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, हाथ जोड़ षरणागत आया ।34।
जग में केवल तुम्हीं सहारा, सारे संकट करहुँ निवारा ।35।
नमो महादेवी हे माता, पीताम्बरा नमो सुखदाता ।36।
सौम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ।37।
रौद्र रूप धर षत्रु संहारो, अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ।38।
नमो महाविद्या आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ।39।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता ।40।
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल।
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल।।
Baglamukhi Chalisa is a 40-verse devotional hymn dedicated to Goddess Baglamukhi, one of the ten Mahavidyas in Hinduism. Reciting this chalisa is believed to bring blessings, protection, and spiritual growth.
गुरु चरणों में सीस धर करुं प्रथम प्रणाम बख्शो मुझ को बाहुबल सेव करुं निष्काम रोम रोम में रम रहा, रुप तुम्हारा नाथ दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ बालक नाथ ज्ञान (गिआन) भंडारा, दिवस रात जपु नाम तुम्हारा, तुम हो जपी तपी अविनाशी, तुम हो मथुरा काशी, तुमरा नाम जपे नर नारी, तुम हो सब भक्तन हितकारी, तुम हो शिव शंकर के दासा, पर्वत लोक तुम्हारा वासा, सर्वलोक तुमरा जस गावें, ॠषि(रिशी) मुनि तब नाम ध्यावें, कन्धे पर मृगशाला विराजे, हाथ में सुन्दर चिमटा साजे, सूरज के सम तेज तुम्हारा, मन मन्दिर में करे उजारा, बाल रुप धर गऊ चरावे, रत्नों की करी दूर वलावें, अमर कथा सुनने को रसिया, महादेव तुमरे मन वसिया, शाह तलाईयां आसन लाये, जिसम विभूति जटा रमाये, रत्नों का तू पुत्र कहाया, जिमींदारों ने बुरा बनाया, ऐसा चमत्कार दिखलाया, सबके मन का रोग गवाया, रिदिध सिदिध नवनिधि के दाता, मात लोक के भाग विधाता, जो नर तुमरा नाम ध्यावें, जन्म जन्म के दुख विसरावे, अन्तकाल जो सिमरण करहि, सो नर मुक्ति भाव से मरहि, संकट कटे मिटे सब रोगा, बालक नाथ जपे जो लोगा, लक्ष्मी पुत्र शिव भक्त कहाया, बालक नाथ जन्म प्रगटाया, दूधाधारी सिर जटा रमाये, अंग विभूति का बटना लाये, कानन मुंदरां नैनन मस्ती, दिल विच वस्से तेरी हस्ती, अद्भुत तेज प्रताप तुम्हारा, घट-घट के तुम जानन हारा, बाल रुप धरि भक्त रिमाएं, निज भक्तन के पाप मिटाये, गोरख नाथ सिद़ध जटाधारी, तुम संग करी गोष्ठी भारी, जब उस पेश गई न कोई, हार मान फिर मित्र होई, घट घट के अन्तर की जानत, भले बुरी की पीड़ पछानत, सूखम रुप करें पवन आहारा, पौनाहारी हुआ नाम तुम्हारा, दर पे जोत जगे दिन रैणा, तुम रक्षक भय कोऊं हैना, भक्त जन जब नाम पुकारा, तब ही उनका दुख निवारा, सेवक उस्तत करत सदा ही, तुम जैसा दानी कोई ना ही, तीन लोक महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहीं पाई, बालक नाथ अजय अविनाशी, करो कृपा सबके घट वासी, तुमरा पाठ करे जो कोई, वन्ध छूट महा सुख होई, त्राहि-त्राहि में नाथ पुकारुं, दहि अक्सर मोहे पार उतारो, लै त्रशूल शत्रुगण मारो, भक्त जना के हिरदे ठारो, मात पिता वन्धु और भाई, विपत काल पूछ नहीं काई, दुधाधारी एक आस तुम्हारी, आन हरो अब संकट भारी, पुत्रहीन इच्छा करे कोई, निश्चय नाथ प्रसाद ते होई, बालक नाथ की गुफा न्यारी, रोट चढ़ावे जो नर नारी, ऐतवार व्रत करे हमेशा, घर में रहे न कोई कलेशा, करुं वन्दना सीस निवाये, नाथ जी रहना सदा सहाये, बैंस करे गुणगान तुम्हारा, भव सागर करो पार उतारा।
I bow my head to the dust of the feet of the Lord of the Universe. I sing the praises of Baba Balak Nath, the giver of food, with my poetic mind.
The chalisa praises Baba Balak Nath's virtues, seeking his blessings for abundance, health, and prosperity. It emphasizes surrender and devotion.
Reciting the chalisa is believed to cleanse negative energies, bring inner peace, and strengthen one's connection with Baba Balak Nath.
Regular recitation of Baglamukhi Chalisa is believed to purify the mind, promote peace, and enhance spiritual growth and insight.
Devotional chanting has positive effects on mental and physical well-being, reducing stress and anxiety.
Regular practice instills discipline, patience, and emotional resilience, aligning with Baba Balak Nath's nurturing nature.
Devotees believe Baba Balak Nath Chalisa recitation brings prosperity, success in work, and relief from financial difficulties.
Performing Chalisa mitigates malefic effects of planetary positions and enhances positive influences of Baba Balak Nath in life.
To perform Baglamukhi Chalisa at home, prepare a clean altar, light a ghee or oil lamp, offer flowers, incense, and recite the chalisa with devotion.
Evening recitation aligns with planetary energy and invokes Baba Balak Nath's blessings for protection and peace.
During Mahashivratri, reciting Baglamukhi Chalisa continuously throughout the night enhances spiritual benefits and devotion.
Participating in temple Baglamukhi Chalisa strengthens community devotion and provides an immersive spiritual experience.
After recitation, distribute fruits, sweets, or flowers as prasad to family and devotees as a symbol of Baba Balak Nath's blessings.
Devotees can listen to the audio version of Baglamukhi Chalisa to gain spiritual benefits if they cannot recite it themselves.
Downloadable MP3 versions are available for continuous listening at home or during rituals.
Various online platforms provide streaming of Baglamukhi Chalisa, making it accessible anytime for devotees.
Listening to Baglamukhi Chalisa with devotion is believed to invoke Baba Balak Nath's blessings similar to reciting it.
Playing the chalisa during meditation helps enhance focus, mindfulness, and spiritual connection with Baba Balak Nath.
Baglamukhi Chalisa is a 40-verse devotional hymn dedicated to Goddess Baglamukhi, one of the ten Mahavidyas in Hinduism. Reciting this chalisa is believed to bring blessings, protection, and spiritual growth.
गुरु चरणों में सीस धर करुं प्रथम प्रणाम बख्शो मुझ को बाहुबल सेव करुं निष्काम रोम रोम में रम रहा, रुप तुम्हारा नाथ दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ बालक नाथ ज्ञान (गिआन) भंडारा, दिवस रात जपु नाम तुम्हारा, तुम हो जपी तपी अविनाशी, तुम हो मथुरा काशी, तुमरा नाम जपे नर नारी, तुम हो सब भक्तन हितकारी, तुम हो शिव शंकर के दासा, पर्वत लोक तुम्हारा वासा, सर्वलोक तुमरा जस गावें, ॠषि(रिशी) मुनि तब नाम ध्यावें, कन्धे पर मृगशाला विराजे, हाथ में सुन्दर चिमटा साजे, सूरज के सम तेज तुम्हारा, मन मन्दिर में करे उजारा, बाल रुप धर गऊ चरावे, रत्नों की करी दूर वलावें, अमर कथा सुनने को रसिया, महादेव तुमरे मन वसिया, शाह तलाईयां आसन लाये, जिसम विभूति जटा रमाये, रत्नों का तू पुत्र कहाया, जिमींदारों ने बुरा बनाया, ऐसा चमत्कार दिखलाया, सबके मन का रोग गवाया, रिदिध सिदिध नवनिधि के दाता, मात लोक के भाग विधाता, जो नर तुमरा नाम ध्यावें, जन्म जन्म के दुख विसरावे, अन्तकाल जो सिमरण करहि, सो नर मुक्ति भाव से मरहि, संकट कटे मिटे सब रोगा, बालक नाथ जपे जो लोगा, लक्ष्मी पुत्र शिव भक्त कहाया, बालक नाथ जन्म प्रगटाया, दूधाधारी सिर जटा रमाये, अंग विभूति का बटना लाये, कानन मुंदरां नैनन मस्ती, दिल विच वस्से तेरी हस्ती, अद्भुत तेज प्रताप तुम्हारा, घट-घट के तुम जानन हारा, बाल रुप धरि भक्त रिमाएं, निज भक्तन के पाप मिटाये, गोरख नाथ सिद़ध जटाधारी, तुम संग करी गोष्ठी भारी, जब उस पेश गई न कोई, हार मान फिर मित्र होई, घट घट के अन्तर की जानत, भले बुरी की पीड़ पछानत, सूखम रुप करें पवन आहारा, पौनाहारी हुआ नाम तुम्हारा, दर पे जोत जगे दिन रैणा, तुम रक्षक भय कोऊं हैना, भक्त जन जब नाम पुकारा, तब ही उनका दुख निवारा, सेवक उस्तत करत सदा ही, तुम जैसा दानी कोई ना ही, तीन लोक महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहीं पाई, बालक नाथ अजय अविनाशी, करो कृपा सबके घट वासी, तुमरा पाठ करे जो कोई, वन्ध छूट महा सुख होई, त्राहि-त्राहि में नाथ पुकारुं, दहि अक्सर मोहे पार उतारो, लै त्रशूल शत्रुगण मारो, भक्त जना के हिरदे ठारो, मात पिता वन्धु और भाई, विपत काल पूछ नहीं काई, दुधाधारी एक आस तुम्हारी, आन हरो अब संकट भारी, पुत्रहीन इच्छा करे कोई, निश्चय नाथ प्रसाद ते होई, बालक नाथ की गुफा न्यारी, रोट चढ़ावे जो नर नारी, ऐतवार व्रत करे हमेशा, घर में रहे न कोई कलेशा, करुं वन्दना सीस निवाये, नाथ जी रहना सदा सहाये, बैंस करे गुणगान तुम्हारा, भव सागर करो पार उतारा।
I bow my head to the dust of the feet of the Lord of the Universe. I sing the praises of Baba Balak Nath, the giver of food, with my poetic mind.
The chalisa praises Baba Balak Nath's virtues, seeking his blessings for abundance, health, and prosperity. It emphasizes surrender and devotion.
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Devotional chanting has positive effects on mental and physical well-being, reducing stress and anxiety.
Regular practice instills discipline, patience, and emotional resilience, aligning with Baba Balak Nath's nurturing nature.
Devotees believe Baba Balak Nath Chalisa recitation brings prosperity, success in work, and relief from financial difficulties.
Performing Chalisa mitigates malefic effects of planetary positions and enhances positive influences of Baba Balak Nath in life.
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Evening recitation aligns with planetary energy and invokes Baba Balak Nath's blessings for protection and peace.
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Devotees can listen to the audio version of Baglamukhi Chalisa to gain spiritual benefits if they cannot recite it themselves.
Downloadable MP3 versions are available for continuous listening at home or during rituals.
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Listening to Baglamukhi Chalisa with devotion is believed to invoke Baba Balak Nath's blessings similar to reciting it.
Playing the chalisa during meditation helps enhance focus, mindfulness, and spiritual connection with Baba Balak Nath.