मथुरा, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि कहा जाता है, भारत में होली के सबसे भव्य और दिव्य उत्सवों में से एक का गवाह बनता है। यहाँ की होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव भी है। मथुरा और इसके आसपास के क्षेत्र (विशेष रूप से वृंदावन, बरसाना और नंदगाँव) में होली का उत्सव हफ्तों पहले ही शुरू हो जाता है और अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।
मथुरा और वृंदावन की होली भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम और उनकी बाल लीलाओं से जुड़ी हुई है।
यहाँ की होली गुलाल, फूलों और भव्य उत्सवों से भरी होती है।
होली के दौरान देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक इस पावन स्थल पर आते हैं।
यह मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में होली से पहले खेली जाती है।
इसमें भगवान को रंगों से सराबोर किया जाता है और भक्तों को लड्डू प्रसाद वितरित किया जाता है।
इस दौरान भक्त रंगों और भक्ति के उत्साह में झूमते हैं।
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में रंगों की जगह फूलों से होली खेली जाती है।
यह होली अमावस्या के दिन खेली जाती है और इसमें हजारों लोग शामिल होते हैं।
इस दिन गुलाब, गेंदे और केवड़े के फूलों की वर्षा होती है।
यह अनोखी होली बरसाना और नंदगाँव में मनाई जाती है।
इसमें महिलाएँ बाँस की लाठियों से पुरुषों को मारती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने की कोशिश करते हैं।
इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपनी सखाओं के साथ राधा और उनकी सखियों से होली खेलने बरसाना आते थे, और राधा उनकी मस्ती का जवाब लाठियों से देती थीं।
होली के मुख्य दिन, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर में रंगों की भव्य होली मनाई जाती है।
हजारों श्रद्धालु यहाँ इकट्ठा होते हैं और भगवान कृष्ण के जयकारों के साथ रंगों में सराबोर हो जाते हैं।
इस दिन मंदिर में विशेष पूजा और भजन संध्या का आयोजन भी होता है।
धुलंडी के दिन, मथुरा की सड़कों पर एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।
इसमें रंग-बिरंगे परिधानों में कलाकार, झाँकियाँ और भजन-कीर्तन होते हैं।
इस दौरान श्रद्धालु रंग खेलते हैं और भक्ति गीतों का आनंद लेते हैं।
अध्यात्म और संस्कृति का संगम – यहाँ की होली केवल रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा भी है।
लट्ठमार होली का अनोखा अनुभव – केवल बरसाना और नंदगाँव में इस तरह की अनोखी होली मनाई जाती है।
फूलों की होली की दिव्यता – वृंदावन में गुलाल के बजाय फूलों की होली खेली जाती है।
हफ्तों तक चलने वाला उत्सव – यह होली केवल एक दिन की नहीं, बल्कि करीब 15 दिनों तक अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है।
अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की भागीदारी – हर साल हजारों विदेशी पर्यटक मथुरा-वृंदावन की होली देखने आते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा: आगरा हवाई अड्डा (60 किमी दूर) या दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (180 किमी दूर)।
रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: दिल्ली, आगरा और जयपुर से नियमित बसें उपलब्ध हैं।
✅ क्या करें:
होली खेलने से पहले प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें।
धार्मिक स्थलों का सम्मान करें और स्थानीय परंपराओं को समझें।
भीड़भाड़ वाली जगहों पर सतर्क रहें।
❌ क्या न करें:
जबरदस्ती किसी को रंग न लगाएँ।
कैमरा और मोबाइल को सुरक्षित स्थान पर रखें।
नशे में धुत होकर किसी के साथ दुर्व्यवहार न करें।
मथुरा की होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा है। यहाँ आकर आपको भगवान कृष्ण की लीलाओं की झलक मिलेगी और प्रेम व भक्ति में रंगे श्रद्धालुओं का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलेगा। अगर आप एक बार मथुरा की होली का अनुभव कर लेते हैं, तो यह जीवनभर की यादों में शामिल हो जाएगी।