होली का पर्व भारत में हर्षोल्लास और रंगों का त्योहार माना जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बरसाना में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली पूरे देश में अपनी अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यह होली एक विशेष परंपरा के साथ खेली जाती है, जिसमें महिलाएँ पुरुषों को डंडों (लाठी) से मारती हैं और पुरुष इसे ढाल लेकर बचाने का प्रयास करते हैं। इस मनोरंजक और अनोखे खेल को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक और श्रद्धालु बरसाना पहुँचते हैं।
लट्ठमार होली की परंपरा भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की प्रेम-क्रीड़ा से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि नंदगांव के कृष्ण और उनके सखा जब राधा जी और उनकी सखियों से होली खेलने के लिए बरसाना आते थे, तब बरसाना की महिलाएँ हाथों में लाठियाँ लेकर उन्हें भगाने का प्रयास करती थीं। इस परंपरा को हर साल होली से पहले पुनः जीवंत किया जाता है।
लट्ठमार होली:
राधा-कृष्ण की प्रेम-लीला का प्रतीक है।
नारी शक्ति और उनकी उत्साहपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।
एक मनोरंजक और पारंपरिक उत्सव है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
लट्ठमार होली होली से एक सप्ताह पहले मनाई जाती है। यह बरसाना और नंदगांव में मुख्य रूप से खेली जाती है।
पहले दिन – बरसाना की महिलाएँ लाठियाँ लेकर नंदगांव के पुरुषों को भगाती हैं।
दूसरे दिन – नंदगांव की महिलाएँ अपने गाँव में बरसाना के पुरुषों से इसी तरह लट्ठमार होली खेलती हैं।
यह उत्सव रंगों, भजनों और भक्तिमय वातावरण से भरा होता है।
श्रीजी मंदिर में पूजन – इस दिन सबसे पहले श्रीजी मंदिर में विशेष पूजा होती है।
गुलाल और रंगों की होली – श्रद्धालु रंगों और गुलाल से खेलते हैं।
लट्ठमार होली की शुरुआत – दोपहर के समय बरसाना की महिलाएँ लाठियाँ लेकर आती हैं और पुरुषों को मारने का प्रयास करती हैं।
पुरुषों की ढाल रक्षा – पुरुष सिर पर ढाल (तकिया या चटाई) रखकर बचने का प्रयास करते हैं।
भजन और लोकगीत – पूरे आयोजन में राधा-कृष्ण के भजन और पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं।
भक्तों की उमंग और नृत्य – श्रद्धालु इस पवित्र खेल का आनंद लेते हैं और श्रीकृष्ण भक्ति में डूब जाते हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशन: मथुरा जंक्शन (बरसाना से 50 किमी दूर)
निकटतम हवाई अड्डा: आगरा हवाई अड्डा (लगभग 90 किमी दूर)
सड़क मार्ग: बरसाना दिल्ली, आगरा और मथुरा से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली से बरसाना तक की दूरी लगभग 160 किमी है।
बरसाना की लट्ठमार होली केवल एक खेल या त्योहार नहीं, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो भक्तों को श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जोड़ती है। यह उत्सव प्रेम, भक्ति और आनंद का संदेश देता है। यदि आप होली के इस अनोखे रूप का अनुभव करना चाहते हैं, तो एक बार बरसाना की लट्ठमार होली में जरूर शामिल हों।