नवरात्रि के पाँचवे दिन की पूजा माँ स्कन्दमाता को समर्पित है। वे भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की माता हैं और ममत्व, करुणा और शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और बुद्धि प्राप्त होती है।
माँ पार्वती ने भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) को जन्म दिया और उनके इसी स्वरूप को स्कन्दमाता कहा गया। भगवान स्कन्द ने देवताओं के सेनापति बनकर असुर तारकासुर का वध किया।
माँ स्कन्दमाता को चार भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। वे गोद में भगवान स्कन्द को धारण करती हैं। उनके दो हाथों में कमल पुष्प, एक हाथ में स्कन्द और चौथे हाथ से वे भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। वे सिंह पर सवार रहती हैं।
माँ स्कन्दमाता ममता और शक्ति का प्रतीक हैं।
उनकी कृपा से भक्त का मन शुद्ध होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
वे बुध ग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं और उनकी कृपा से बुद्धि और वाणी में सुधार होता है।
संतानहीन दंपत्ति उनकी पूजा से संतान सुख प्राप्त करते हैं।
इस दिन माँ को पीले फूल, केला और फल अर्पित किए जाते हैं।
कमल पुष्प अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
व्रत और मंत्रजाप से भक्त को दिव्य सुरक्षा और सफलता प्राप्त होती है।
“ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥”