परिचय:
बिमला शक्तिपीठ पुरी, ओडिशा में स्थित एक पवित्र मंदिर है, जो माता बिमला (विमला) को समर्पित है। माना जाता है कि माता सती के पैर यहीं गिरा थे। यह मंदिर भक्तों के लिए दैवीय सुरक्षा, आध्यात्मिक शक्ति, पवित्रता और इच्छाओं की पूर्ति प्राप्त करने का प्रमुख स्थल है। माता बिमला शक्ति, धर्म और आध्यात्मिक शुद्धि की देवी हैं।
इतिहास और पौराणिक कथा:
हिंदू पुराणों के अनुसार, सती माता के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने उनका शव उठाया और तांडव किया। ब्रह्मांडीय संतुलन स्थापित करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका शरीर काटा। सती के पैर पुरी में गिरे, जहाँ बिमला शक्तिपीठ स्थापित हुआ। भक्तों का विश्वास है कि यहाँ पूजा करने से पापों से मुक्ति, आध्यात्मिक शक्ति, साहस और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
मंदिर वास्तुकला:
बिमला मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर परिसर में स्थित है। इसमें ओडिशा शैली की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला है, जिसमें नक्काशीदार स्तंभ, पत्थर की मूर्तियाँ और गर्भगृह में माता बिमला की मूर्ति है। माता बिमला शक्तिशाली मुद्रा में, आभूषणों से सजी और दिव्य ऊर्जा से प्रकाशित दिखाई देती हैं। मंदिर परिसर में छोटे मंदिर और पूजा-अर्चना के लिए पवित्र स्थान उपलब्ध हैं।
महत्व:
बिमला शक्तिपीठ ओडिशा में शक्ति पूजा का प्रमुख केंद्र है।
भक्त यहाँ शुद्धि, आध्यात्मिक शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त करने के लिए आते हैं।
प्रमुख त्योहारों में नवरात्रि और विशेष बिमला पूजा शामिल हैं।
पूजा और अनुष्ठान:
अर्पण में शामिल हैं: लाल फूल, फल, मिठाई, नारियल और धूप।
पुजारी प्रतिदिन आरती, अभिषेक और विशेष पूजा करते हैं।
भक्त बिमला मंत्रों का जाप और ध्यान करते हैं।
यात्रा सुझाव:
यात्रा का सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च, विशेषकर नवरात्रि के दौरान।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: पुरी रेलवे स्टेशन, ओडिशा।
आसपास के दर्शनीय स्थल: जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर, चिलिका झील।