परिचय:
विशालाक्षी शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के पवित्र नगर वाराणसी में स्थित है। माना जाता है कि माता सती की कर्ण कुंडल (कान की बालियाँ) यहीं गिरी थी। यह मंदिर माता विशालाक्षी को समर्पित है, जो शक्ति का स्वरूप हैं और परिवार की भलाई, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक हैं।
इतिहास और पौराणिक कथा:
हिंदू पुराणों के अनुसार, सती माता ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमान होने पर आत्मदाह किया। भगवान शिव ने उनके शव को उठाकर तांडव किया। इसे रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के अंग काटे। अंगों के गिरने से शक्तिपीठ बने। विशालाक्षी शक्तिपीठ वह स्थान है जहाँ माता के कर्ण कुंडल गिरे। यह मंदिर सदियों से भक्ति और शक्ति पूजा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
मंदिर वास्तुकला:
विशालाक्षी मंदिर की उत्तर भारतीय शैली की वास्तुकला है। गर्भगृह में माता विशालाक्षी की मूर्ति स्थापित है, जिसे सोने के आभूषण, लाल और पीले वस्त्र और प्रतीकात्मक अस्त्रों से सजाया गया है। मंदिर परिसर में शिव और अन्य देवताओं के छोटे मंदिर भी हैं, जिससे यहाँ आध्यात्मिक वातावरण बना रहता है।
महत्व:
यह मंदिर दिव्य स्त्री शक्ति (शक्ति) का शक्तिशाली केंद्र माना जाता है।
भक्त यहाँ स्वास्थ्य, समृद्धि, विवाह और सुरक्षा के लिए पूजा करते हैं।
महत्वपूर्ण त्योहार हैं नवरात्रि और शरद पूर्णिमा, जब यहाँ हजारों श्रद्धालु आते हैं।
पूजा और अनुष्ठान:
भक्त देवी को लाल फूल, फल, धूप और सिंदूर अर्पित करते हैं।
पुजारी प्रतिदिन आरती, भोग और विशेष पूजा करते हैं।
भक्त अक्सर मंदिर का परिक्रमा करते हैं और देवी विशालाक्षी के मंत्रों का जाप करते हैं।
यात्रा सुझाव:
यात्रा का सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च और नवरात्रि।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन।
आसपास के दर्शनीय स्थल: काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट, सारनाथ।