परिचय:
छिन्नमस्ता शक्तिपीठ झारखंड के राजरापा में स्थित है। माना जाता है कि माता सती का सिर यहीं गिरी। यह मंदिर माता छिन्नमस्ता को समर्पित है, जो शक्ति का प्रचंड रूप हैं। माता छिन्नमस्ता आत्म-त्याग, आध्यात्मिक जागरण और समय की विनाशकारी शक्ति का प्रतीक हैं। यह मंदिर उन भक्तों को आकर्षित करता है जो आध्यात्मिक उन्नति, साहस और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति चाहते हैं।
इतिहास और पौराणिक कथा:
हिंदू पुराणों के अनुसार, सती माता के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने उनका शव उठाकर तांडव किया। इसे रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर को काटा। सती का सिर राजरापा में गिरा, जिसे शक्तिपीठ माना गया। छिन्नमस्ता देवी अपने स्वयं के सिर को पकड़े हुए और रक्त पीती हुई दर्शायी जाती हैं, जो जीवन, मृत्यु और आत्म-त्याग के चक्र का प्रतीक है।
मंदिर वास्तुकला:
छिन्नमस्ता मंदिर का वास्तुकला अद्वितीय है। गर्भगृह में माता छिन्नमस्ता की मूर्ति है, जिसमें तीन आंखें, तलवार और स्वयं का कटा हुआ सिर है। मूर्ति एक युगल के ऊपर खड़ी है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा की कामवासना पर विजय का प्रतीक है। मंदिर परिसर में छोटे मंदिर और पवित्र तालाब भी हैं।
महत्व:
छिन्नमस्ता मंदिर तांत्रिक पूजा और साधना का शक्तिशाली केंद्र है।
भक्त यहाँ आध्यात्मिक जागरण, साहस और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए आते हैं।
नवरात्रि और काली पूजा जैसे त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं।
पूजा और अनुष्ठान:
अर्पित करने योग्य चीजें: लाल फूल, मिठाई, फल और नारियल।
पुजारी प्रतिदिन आरती और विशेष पूजा करते हैं।
तांत्रिक साधक और भक्त यहाँ कुंडलिनी जागरण के लिए ध्यान करते हैं।
यात्रा सुझाव:
यात्रा का सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: रामगढ़ कैंटोनमेंट / हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन।
आसपास के दर्शनीय स्थल: राजरापा डैम, भैरवी मंदिर, बारही हिल्स।