परिचय:
सप्तश्रृंगी शक्तिपीठ महाराष्ट्र के नासिक में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो माता सप्तश्रृंगी को समर्पित है। माना जाता है कि माता सती का गर्दन यहीं गिरा था। यह मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति, सुरक्षा, साहस और इच्छाओं की पूर्ति प्राप्त करने का महत्वपूर्ण स्थल है। माता सप्तश्रृंगी दैवीय शक्ति, बुराई पर विजय और मातृत्व का प्रतीक हैं।
इतिहास और पौराणिक कथा:
हिंदू पुराणों के अनुसार, सती माता के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने उनका शव उठाया और तांडव किया। ब्रह्मांडीय संतुलन स्थापित करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका शरीर काटा। सती का गर्दन नासिक के सप्तश्रृंगी पर्वतों में गिरे, जिससे सप्तश्रृंगी शक्तिपीठ की स्थापना हुई। भक्तों का विश्वास है कि यहाँ पूजा करने से बाधाएं दूर होती हैं, साहस बढ़ता है, आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
मंदिर वास्तुकला:
मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, लगभग 500 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है, जिससे सह्याद्रि पर्वतों का मनोहारी दृश्य दिखाई देता है। मंदिर में परंपरागत मराठी स्थापत्य शैली है, और गर्भगृह में माता सप्तश्रृंगी की मूर्ति आभूषण और फूलों से सजाई गई है। आसपास के पहाड़ और जंगल शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करते हैं।
महत्व:
सप्तश्रृंगी शक्तिपीठ महाराष्ट्र में शक्ति पूजा का प्रमुख केंद्र है।
भक्त यहाँ शक्ति, साहस, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने के लिए आते हैं।
प्रमुख त्योहारों में नवरात्रि, चैत नवरात्रि और आषाढ नवरात्रि शामिल हैं।
पूजा और अनुष्ठान:
अर्पण में शामिल हैं: लाल फूल, नारियल, मिठाई, हल्दी, धूप और लाल वस्त्र।
पुजारी प्रतिदिन आरती, अभिषेक और विशेष पूजा करते हैं।
भक्त सप्तश्रृंगी मंत्रों का जाप और ध्यान करते हैं और आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त करते हैं।
यात्रा सुझाव:
यात्रा का सर्वोत्तम समय: सितंबर से मार्च, विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: नासिक रोड रेलवे स्टेशन, महाराष्ट्र।
आसपास के दर्शनीय स्थल: अंजनरी हिल, त्रिंबकेश्वर मंदिर और गंगापुर डैम।