संत एकनाथ एक महान संत, कवि और भक्त थे, जो महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के प्रमुख अनुयायी थे। उनका जन्म 1533 ई. में पैठन, महाराष्ट्र में हुआ था। एकनाथ भगवान विठोबा (विठ्ठल) के प्रति गहन भक्ति रखते थे, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। वह वारी संप्रदाय के अनुयायी थे, जो भगवान विठोबा की भक्ति पर आधारित है।
संत एकनाथ का जीवन विनम्रता, करुणा और भगवान विठोबा के प्रति अटूट भक्ति से परिपूर्ण था। उनकी शिक्षाओं का मुख्य उद्देश्य समानता और सभी प्राणियों के प्रति प्रेम था, चाहे वे किसी भी जाति या सामाजिक स्थिति के हों। उनका मानना था कि भगवान हर दिल में निवास करते हैं, और सच्ची भक्ति का अर्थ है मानवता की सेवा करना।
संत एकनाथ के जीवन की एक प्रसिद्ध घटना उनकी अपार धैर्य और प्रेम की कहानी बताती है। एकनाथ प्रतिदिन गोदावरी नदी में स्नान करते थे। एक बार एक शरारती व्यक्ति ने कई बार उन पर थूका, जब वे नदी से स्नान करके लौट रहे थे। हर बार एकनाथ बिना किसी गुस्से के वापस जाकर फिर से स्नान करते थे। यह सिलसिला सौ से अधिक बार हुआ, लेकिन एकनाथ ने कभी अपना धैर्य नहीं खोया। अंत में, उस व्यक्ति को संत एकनाथ की महानता का एहसास हुआ और उसने उनके चरणों में गिरकर क्षमा मांगी। एकनाथ ने उसे आशीर्वाद दिया, यह साबित करते हुए कि प्रेम और धैर्य से नफरत और द्वेष को जीता जा सकता है।
संत एकनाथ एक महान कवि और विद्वान भी थे। उन्होंने कई भजनों, अभंगों और धार्मिक साहित्य की रचना की। "भागवत पुराण" पर उनकी मराठी टिप्पणी को भक्ति साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उनकी रचनाओं का उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान को आम जनता के लिए सुलभ बनाना था, और उन्होंने यह संदेश दिया कि ईश्वर की प्राप्ति भक्ति और प्रेम से हो सकती है, न कि केवल अनुष्ठानों या बौद्धिक ज्ञान से।
संत एकनाथ की भगवान विठोबा के प्रति भक्ति पूर्ण और निःस्वार्थ थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित किया और प्रेम, विनम्रता और भगवान के प्रति भक्ति का संदेश फैलाया। आज भी उनके जीवन और शिक्षाएं लाखों भक्तों को प्रेरित करती हैं।
कथा की सीख:
संत एकनाथ का जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति धैर्य, विनम्रता और सभी प्राणियों के प्रति प्रेम में निहित होती है। उनका उदाहरण हमें यह दिखाता है कि मानवता की सेवा ही सच्ची पूजा है, और भगवान हर व्यक्ति के दिल में बसे होते हैं।